सात फेरों में बंध गई, रंग -ए-इश्क़ में रंग गई, देकर मांग को सिंदूर तेरी मोहब्बत का, सरूर-ए-इश्क़ से दहक गई, रहबर तुम्हें पाकर, मेरे रास्ते बे- फ़िक्र हुए, चुप-चाप अंखीया मीचे, तेरे साथ हो लिए, एक कागज़ का दस्तख़त, मुझे " मैं" करने से "मिसज़" कर गया। सभी दोस्तों को प्यार भरा "नमस्कार" 🎀 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है । आज का शीर्षक है : #दस्तख़त