विश्वास कहने सुनने को अब कुछ रहा नहीं क्या सही क्या गलत यह जानना भी अब जरूरी नहीं है वक्त कितना बीत चुका जो तूने मुझे मुड़कर देखा नहीं हां भले ही मुझे इश्क है तुझसे पर सच है यह भी यह दिल तुझे अपनाने से डरता है हां यह दिल डरता है पर तुझे ये जरूरी है बताना यह दिल तुझे अपनाने से कतराता है दिल डरता है