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तू भले ही खुद को सबसे बड़ा समझ तेरी औकात एक एक शब्

तू भले ही खुद को सबसे बड़ा समझ
तेरी औकात एक एक शब्द में लिखा हूं

समाज में तेरे पत्थर बिछाने से क्या होगा
गौर से देख तेरी छाती पर ही मैं खिला हूं

तू विलग है या मैं हूं सबसे अलग
देख तेरे सृजन हार से ही मैं जुड़ा हूं

मुझको कोई तकलीफ नहीं मन भेद क्लेशों की
तेरे अन्याय की गठरी में शामिल मैं भी तो हुआ हूं

कोई बात नहीं रणनीति , कूटनीति विशेषज्ञों की
युद्ध अपनों के बीच महाभारत भी मैं भी तो पढ़ा हूं

कृपादृष्टि रही केशव की , तो कल शायद अर्जुन बनू
पर आज के युग में अभिमन्यु भी मैं ही तो बना हूं

©Amar Anand
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