3 उनका मेरे मोहल्ले में आना मानो जून की गर्मी में रेन था, अभी तक तो सिर्फ उन पर रचना का यह विगेंन था, हर कोई चाहकर भी उनके चेहरे से नजर हटा नहीं पा रहा था, हर युवा बन चुका था दूध मुहें बालक की भांति छोड़कर खयाल ए दुनिया असलियत में जा नहीं पा रहा था, जाने क्या जादू था उसके चेहरे और सुर्ख होठों में इसका एहसास ना हुआ खुदा से गुजारिश हे कि वो रोज मिले हमें इसी तरह यही है दुआ साथ वो अपने कुछ ऐसे फसाने साथ लाया था" मेरे मोहल्ले में चांद आया था़...! Next👉 #chand_aaya_tha3