उम्मीद की, पहाड़ी के पीछे, आस की, पगडंडियों से गुजरते हुए, अक्सर ही, दिखाई दे जाता है, स्त्री रूपी, वह स्नेह का मकान, वह अपूर्ण सी अकेली, और..प्रेम मे डूबी, रूढ़िवादी समाज से बहिष्कृत, स्त्री, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे.. #मर्सिया उम्मीद की, पहाड़ी के पीछे, आस की, पगडंडियों से गुजरते हुए,