ख़ाब थे बेलज़्ज़त तभी ताबीर-ऐ-गम थे। ताबीर-ऐ-ख़ाब में जो लज़्ज़त होती। तो शब-ऐ-गम का क्या जौक होता। #nojotowriters. ताबीर-ऐ-ग़म-दुख का बयाँ।(interpretation of grief). ताबीर-ऐ-ख़ाब-सपने का बयाँ(interpretation of dream). शब-ऐ-गम-दुख की रात ।(night of sorrow). जौक-समूह(group). बेलज़्ज़त-नीरस,फीका।(without taste) लज़्ज़त-ज़ायका, स्वाद(tasty) मेरे सपने ही नीरस थे तभी तो दुख बयाँ करना पड़ा।