पात-पात भीग गात बरसाती गीत है, सन सननन संग बयार लिए उड़े प्रीत है, प्रकृति के कण-कण से उछला संगीत है नदिया सागर से मिली ज्यों बिछड़े मनमीत हैं हर तरफ से शोर उठा ये ये जिंदगी की जीत है। सुधा देवांगन बालको नगर कोरबा (छ.ग.)