मिट्टी की महक महकाती थी, अब तुम्हें सताती होगी, जब जब तुम बारिश में तुम उस बगिया में जाती होगी।। दूर चले जाओ मुझसे, ये कहकर मुझसे नाता तोड़ा था, अब अकेले में तुम्हें, तुम्हारी अपनी ही परछाई डराती होगी।। दिन तो चलो माना कामों में तुम बिता ही लेती होगी, पर ये तो बताओ रातों को कैसे तुम समझाती होगी।। वो गेसूओं से अठखेली करना, वो लबों को चूम जाना, याद आता होगा, जब देख के आईने में ख़ुद को सजाती होगी।। 'कुमार' से गिला शिकवा कर लेती थी वज़ह - बेवज़ह तुम, अब कैसे इन दूरियों का इल्ज़ाम तुम मुझपर लगाती होगी।। #YQBaba #Kumaarsthought #YQDidi #हिंदी #hindi #she'r #kumaarsher #ग़ज़ल #कुमारग़ज़ल #सताती#डराती#आती#लगाती#महकाती#निहारती