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रात भर एक चांद का साया रहा  वो याद बनकर मेरी आँखो

रात भर एक चांद का साया रहा 

वो याद बनकर मेरी आँखों में समाया रहा

पलकों में नींद न रही

 मन में ख़याल उसका छाया रहा

हम जागे रात भर यादों का मंज़र 

अश्क़ बनकर आँखों से बहता रहा।।


कभी जिसे सोच कर होठो पर मुस्कान आती थी

आज उसे सोच कर मन उदास हो जाता है, 

रात की खामोशी में दिल का दर्द और बढ़ जाता है

जब-जब चांद आसमान में तारों के बीच गुनगुनाता है

खामोशी का ये खूबसूरत मंज़र यादों में खींच ले जाता है।।

©Poonam Nishad
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