योग- कुछ बिंब जीवन का योग जो हाथ आया वो योग वरना वियोग कपालभाति सुख की सांस दुखों पर स्ट्रोक जीवन कपाल भांति-भांति लोग।। प्राणायाम पिंजड़े में तोता तोते में प्राण.. इच्छाएं बाहर तृप्ति का प्राणायाम।। भ्रामरी निंदा पर नेत्र बंद गुणों की गुन-गुन आत्मा के स्वर शाश्वत मन के भ्रमर।। वृक्षासन एक टांग पर खड़ा वो तपस्वी है... हमारा पिता है।। धनुरासन पेट और पीठ एक लाचार, धनुषाकार अपनी मां।। शीर्षासन पथरीली आंखें लगातार देखती बच्चों के लक्ष्य का ताड़ासन... और करती शीर्षासन।। अनुलोम-विलोम दूषित जल दूषित हवा उत्सर्ग करो तो अनुलोम-विलोम।। -सूर्यकांत द्विवेदी