अपने*तकल्लुम में ज़रा *लफ़्ज़*शिरीन रखिए,कम रखिए,मगर अपनी बात मे हमेशा दम रखिए//१
*वार्तालाप के रस
*शब्द*मधुर
अच्छे अच्छों की हस्ती मिल गई खाक में जनाब,जरा सोच कर नफरत की बस्ती में कदम रखिए//२
जाने कितने ही इस मौके की बस तलाश में हैं,तुम गैरो के सामने जरा खुदको हम राखिए//३
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