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काश !! हमारी भी होती इसी तरह तो, पुराने जख्म आज उभ

काश !!
हमारी भी होती इसी तरह तो,
पुराने जख्म आज उभरते नहीं,
बहुत पीटें हैं सब मिलकर,
मेरे मासूम से हाथों कों,

मगर कम्बख्त...
मेरे हाथ भी इतनें ढ़ीढ हैं कि,
आज तक मेरे लिखावट में,
खुद कभी सुधरते नहीं....!!
              -Sp"रूपचन्द्र" मेरी राइटिंग
काश !!
हमारी भी होती इसी तरह तो,
पुराने जख्म आज उभरते नहीं,
बहुत पीटें हैं सब मिलकर,
मेरे मासूम से हाथों कों,

मगर कम्बख्त...
मेरे हाथ भी इतनें ढ़ीढ हैं कि,
आज तक मेरे लिखावट में,
खुद कभी सुधरते नहीं....!!
              -Sp"रूपचन्द्र" मेरी राइटिंग