भोर का पंछी भोर हुई तो पंछी भी जागे तू अब तलक आँखों मे सपनो के मोती पिरोता है सुबह का सूरज तू देखे न पगले फिर क्यों बैठकर किस्मत को रोता है SunnychauhaN #Panchi akhir kyu kismat ko rota h lagbhag ye to sab ke sath hota h 😔😔😔😔