( कोई दीवाना के तर्ज पर एक मुक्क्तक ) समंदर मेरी प्यासों को कभी भी हर नही पाया , दिए जो दर्द तुमने वो कभी मैं सह नहीं पाया , लगाई डुबकियां मैंने तेरी आँखों की झीलों में , मोहब्बत का वो मोती मगर मैं पा नही पाया अनमोल गुमनाम #anmolgumnaam