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वक्त कब किसका हो कर रुका है ना मेरा ना उसका हो कर

वक्त कब किसका हो कर रुका है 
ना मेरा ना उसका हो कर रुका है 
तुम जियो या ना जियो
बीत जाना है हर दिन को ही
जो पल पास है, क्यों
यू निराश हो कर गवाए इसको 
जियो और हर पल को अपना करके जियो
अच्छा हो या बुरा 
जो होनी है हो कर ही रहेगा 
होनी कब किसके चाहने से रुका है।


nishanik

©Janshruti
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