ख्वाबों को है वो अपनी सुखन में समेटे अपनी दुनिया को अपनी नांव में समेटे साल दर साल वो उसके टूटते घरोंदे कहाः से आते है हिम्मत के पौधें वो होते हैं तैयार एक नई बरसात के बीच वो जो खुद को बचा सपनों डूबा देते है उम्मीदें उनका साथ नहीं नहीं छोड़ती और घर की आश ज़ज्बात नहीं छोड़ती वो अपनी दुनिया को फिर बसायेगा फ़िर से आने वाले साल की बरसात मे जो टूट जाएगा..... #आसाम #बिहार #flood