'मज़बूत छाती' दिये में कैसी बाती है नदारद रौशनी इसकी पिये बस तेल जाती है दिये को गालियां देती दिये से ही वो खाती है दिया न हो के थाली हो किये बस छेद जाती है कोई इल्ज़ाम न धर दे तो बाती यों बताती है तालिबे दीन है वो तो फ़ख़त वो एक जमाती है दिया मन में ही घुटता है बड़ी मज़बूत छाती है। #NaveenMahajan मज़बूत छाती #NaveenMahajan