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गुस्ताखियों की छूट है तेरी नज़र में, गुस्ताखियां ग

गुस्ताखियों की छूट है तेरी नज़र में,
गुस्ताखियां गुस्ताख से होती रहीं हैं,
मजलूम तुम मेरे नहीं हो ध्यान रखना..
प्रेम को जो समझो तो तुम मजलूम नहीं हो,
मैं महरूम स्वयं को ही मानता रहा हूं,
वास्तव में तुम जो हो तो महरूम नहीं हूं..
मेरा जो भी हो हद से प्रिय तुमको मुबारक,
वक्त, लम्हें, अहसास सब तुमको मुबारक,
सहजता से ही तुम मुझे जीत लेना,
कठोरता से तो मैं मेरा नहीं हूं..
कठोरता से तो मैं मेरा नहीं हूं..।

©shivam chandra #Love #Pyar #feelings #Happiness #selfcontrol #Swabhimaan #nojotohindi #nojotohindipoetry
गुस्ताखियों की छूट है तेरी नज़र में,
गुस्ताखियां गुस्ताख से होती रहीं हैं,
मजलूम तुम मेरे नहीं हो ध्यान रखना..
प्रेम को जो समझो तो तुम मजलूम नहीं हो,
मैं महरूम स्वयं को ही मानता रहा हूं,
वास्तव में तुम जो हो तो महरूम नहीं हूं..
मेरा जो भी हो हद से प्रिय तुमको मुबारक,
वक्त, लम्हें, अहसास सब तुमको मुबारक,
सहजता से ही तुम मुझे जीत लेना,
कठोरता से तो मैं मेरा नहीं हूं..
कठोरता से तो मैं मेरा नहीं हूं..।

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