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काश, एक बार इज़हार कर सकते, तो आज मंज़र कुछ अलग हो

काश, एक बार इज़हार कर सकते,
तो आज मंज़र कुछ अलग होता,
ना तू वहांँ होती ना मैं यहांँ होता,
ना ही मैं तुझको याद करके ,
मेरे दर्द भरे अल्फ़ाज लिख रहा होता। — % & ये हेश्टेग कभी ना हटाएं... 

#GujaratiwriterS_हिंदीआलेखन_एक_बार_इज़हार

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प्रस्तुत किए गए चित्र के अनुरुप क्वॉट, लेख, कविता, लघु कथा, आवकार्य है।
काश, एक बार इज़हार कर सकते,
तो आज मंज़र कुछ अलग होता,
ना तू वहांँ होती ना मैं यहांँ होता,
ना ही मैं तुझको याद करके ,
मेरे दर्द भरे अल्फ़ाज लिख रहा होता। — % & ये हेश्टेग कभी ना हटाएं... 

#GujaratiwriterS_हिंदीआलेखन_एक_बार_इज़हार

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प्रस्तुत किए गए चित्र के अनुरुप क्वॉट, लेख, कविता, लघु कथा, आवकार्य है।