जल मानव जीवन का आधार है परंतु वह दिल्ली की जनता को कैंसर सांस की बीमारी त्वचा रोग जैसे मौत के कारण का विवरण केंद्र बना हुआ है दिल्ली में केवल 3 वर्ष यानी 2018 से लेकर 2021 तक यमुना की हालत सुधारने के लिए 200 करोड रुपए खर्च किए गए लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा भाई वैसे यमुना का करार के मुंह जल की जांच बताएं लगभग 25 वर्ष के दौरान हुई है यह भी बताए जाने के लिए है कि भूजल की बीमारी बांटने में पिछले नहीं है यमुना के किनारे कदार का लगभग 1970 इलाका हुआ करता था जिसमें से आ गई है कोई जगह सरकार ने भी जमुना जल ग्रहण क्षेत्र में निर्माण किए हैं गांव अभी 100 साल पहले तक इस पर एक बूंद गिरा था क्षेत्र में हुआ करता था जो आज गुडगांव के सेक्टर 8 द्वारका के पास काला तक है इसमें कई आज दिल्ली के भूजल के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारक नजफगढ़ नाला कभी जयपुर के जीतगढ़ से निकलकर अलवर कोटपुतली रेवाड़ी होते हुए नजफगढ़ झील और वहां से दिल्ली में जमुना से मिलने वाली सहित रोड़ी नदी हुआ करती थी इस नदी के माध्यम से नजफगढ़ झील का अतिरिक्त पानी यमुना में मिल जाया करता था वर्ष 1922 के आसपास दिल्ली के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ आई उस समय के ब्रिटिश सरकार ने नजफगढ़ नाले को गिराकर आप पानी निकासी की जुगाड़ की ©Ek villain #राजधानी को मिले जहरीले पानी से मुक्ति #navratri