अभिमन्यु की तरह मैं चक्रव्यूह में घूमती हूँ। भाव में डूबे हुये अपने मन को चूमती हूँ। नित नव रचनाओं में हर क्षण हर पल मैं समाती- अपनी कल्पनाओं संग मैं यूँ ही झूमती हूँ। -वेधा सिंह #chakrveiw #vedhasingh