Nojoto: Largest Storytelling Platform

लघुकथा : मुट्ठी भर आसमान "मुठ्ठी भर आसम

लघुकथा : मुट्ठी भर आसमान
       
   "मुठ्ठी भर आसमान की चाहत की थी
    मगर दुष्टों ने जान से ही मार ड़ाला
   ज्यादा सहृदयता भी अच्छा नहीं होता
    होनहार लड़की ने जान ही गवां ड़ाला"

      सुषमा को पढ़ाई मे प्रथम आना उसका प्रिय शौक था। साथ ही साथ खेल कूद मे भी दिलचस्पी रखना और अपने गरीब सहपाठियों की मदद करना भी उसका शौक  था।
        उसके इस शौक से आत्मिक संतोष मिलता था। उसके पिताजी भी उसका समय समय पर हौसला अफजाई किया करते थे। और सतर्क रहने की सलाह भी देते थे। 
       लेकिन एक दिन अली नाम के लड़के ने सुषमा से दोस्ती कर लिया, सुषमा भी उसको अन्य दोस्तों की तरह पढ़ाई लिखाई मे सहयोग करती रहती थी, उसके इस स्वाभाव को अली ने अपने प्रति आकर्षण समझ प्यार का इजहार कर दिया। सुषमा अवाक रह गई उसके इस व्यवहार को देखकर ।
       सुषमा ने उसको समझाना चाहा लेकिन वो पीछे ही पड़ गया तब सुषमा ने उससे दूरी बना लिया। जिससे वो बदला लेने के लिए अवसर की तलाश मे लगा रहता था। सुषमा उसके व्यवहार के बारे मे अपने पिता जी को बताया और पुलिस मे रिपोर्ट भी करवा दिया।
        सुषमा कालेज से अपनी सहेली के घर लौट रही थी कि अचानक अली अपने दोस्त के साथ रास्ता रोक लिया और अपने साथ चलने की जिद करने लगा लेकिन सुषमा के मना करने पर उसने गोली चला दिया जिससे उसके "मुठ्ठी भर आसमान" की चाहत मे उसकी पवित्र आत्मा अनन्त आकाश मे विलीन हो गई।
नरेशचन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा।

©Naresh Chandra लघुकथा : मुट्ठी भर आसमान
       
   "मुठ्ठी भर आसमान की चाहत की थी
    मगर दुष्टों ने जान से ही मार ड़ाला
   ज्यादा सहृदयता भी अच्छा नहीं होता
    होनहार लड़की ने जान ही गवां ड़ाला"

      सुषमा को पढ़ाई मे प्रथम आना उसका प्रिय शौक था। साथ ही साथ खेल कूद मे भी दिलचस्पी रखना और अपने गरीब सहपाठियों की मदद करना भी उसका शौक  था।
लघुकथा : मुट्ठी भर आसमान
       
   "मुठ्ठी भर आसमान की चाहत की थी
    मगर दुष्टों ने जान से ही मार ड़ाला
   ज्यादा सहृदयता भी अच्छा नहीं होता
    होनहार लड़की ने जान ही गवां ड़ाला"

      सुषमा को पढ़ाई मे प्रथम आना उसका प्रिय शौक था। साथ ही साथ खेल कूद मे भी दिलचस्पी रखना और अपने गरीब सहपाठियों की मदद करना भी उसका शौक  था।
        उसके इस शौक से आत्मिक संतोष मिलता था। उसके पिताजी भी उसका समय समय पर हौसला अफजाई किया करते थे। और सतर्क रहने की सलाह भी देते थे। 
       लेकिन एक दिन अली नाम के लड़के ने सुषमा से दोस्ती कर लिया, सुषमा भी उसको अन्य दोस्तों की तरह पढ़ाई लिखाई मे सहयोग करती रहती थी, उसके इस स्वाभाव को अली ने अपने प्रति आकर्षण समझ प्यार का इजहार कर दिया। सुषमा अवाक रह गई उसके इस व्यवहार को देखकर ।
       सुषमा ने उसको समझाना चाहा लेकिन वो पीछे ही पड़ गया तब सुषमा ने उससे दूरी बना लिया। जिससे वो बदला लेने के लिए अवसर की तलाश मे लगा रहता था। सुषमा उसके व्यवहार के बारे मे अपने पिता जी को बताया और पुलिस मे रिपोर्ट भी करवा दिया।
        सुषमा कालेज से अपनी सहेली के घर लौट रही थी कि अचानक अली अपने दोस्त के साथ रास्ता रोक लिया और अपने साथ चलने की जिद करने लगा लेकिन सुषमा के मना करने पर उसने गोली चला दिया जिससे उसके "मुठ्ठी भर आसमान" की चाहत मे उसकी पवित्र आत्मा अनन्त आकाश मे विलीन हो गई।
नरेशचन्द्र"लक्ष्मी"
फरीदाबाद हरियाणा।

©Naresh Chandra लघुकथा : मुट्ठी भर आसमान
       
   "मुठ्ठी भर आसमान की चाहत की थी
    मगर दुष्टों ने जान से ही मार ड़ाला
   ज्यादा सहृदयता भी अच्छा नहीं होता
    होनहार लड़की ने जान ही गवां ड़ाला"

      सुषमा को पढ़ाई मे प्रथम आना उसका प्रिय शौक था। साथ ही साथ खेल कूद मे भी दिलचस्पी रखना और अपने गरीब सहपाठियों की मदद करना भी उसका शौक  था।