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वादों के मुताबिक सफर के लिए। हम अब भी खड़े हमसफर

वादों के मुताबिक सफर के लिए। 
हम अब भी खड़े हमसफर के लिए।
(1) 
हाथ मे हाथ लेकर चले थे कभी, 
दे गया ग़म मुझे उम्रभर के लिए।। 
(2)
आरजू  थी हमे फिर से दीदार हों, 
पर तरसते रहे इक नजर के लिए।। 
(3)
 "अनुपम" प्यार की प्यारी नदियाँ थमी, 
अब भी बहता है सागर लहर के लिए।।

दीपान्शु श्री"अनुपम " कैसरगंज बहराइच

©Namrata Srivastava Srivastava हम अब भी खड़े

#droplets
वादों के मुताबिक सफर के लिए। 
हम अब भी खड़े हमसफर के लिए।
(1) 
हाथ मे हाथ लेकर चले थे कभी, 
दे गया ग़म मुझे उम्रभर के लिए।। 
(2)
आरजू  थी हमे फिर से दीदार हों, 
पर तरसते रहे इक नजर के लिए।। 
(3)
 "अनुपम" प्यार की प्यारी नदियाँ थमी, 
अब भी बहता है सागर लहर के लिए।।

दीपान्शु श्री"अनुपम " कैसरगंज बहराइच

©Namrata Srivastava Srivastava हम अब भी खड़े

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