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आज हम जब लिखने बैठे तो हमारी कलम हमे लिखने से रोक

आज हम जब लिखने बैठे तो हमारी कलम हमे लिखने से रोक रही थीं। तब हम सोच रहे थे कि ऐसा क्यों ?फिर विचार किया और समझ आया कि हम तो अपने अंदर इंसानियत को ढूढ़ रहे है लिखने के लिए तभी मन से आवाज आई कि तुम इंसान ना विश्वास लायक हो ना ही अब इंसानियत रही अब तुम लोगो मे ।।
अगर जानवरों की जुबान होती तो सच मे इंसानियत बहुत रोती ,जिनको हम जानवर कहते हैं ना असल मे तो उनकी भूमिका हम इंसान निभा रहे है , शहरो में रहने वालो  कभी जंगलों में जाकर देखा हम इंसानो से बेहतर जीते हैं जानवर । 
कोई कैसे उस बेजुबान हथनी के साथ ऐसा दुर्वव्यवहार कर सकता हैं। ऐ इंसान तेरी रुह नही काँपी ऐसा करते क्या तेरी  इंसानियत नही रोई।
फिर नियति क्या गलत करती है हमारे साथ   जो लोग 2020 को दोष दे रहे थे उनको समझाओ की गलती 2020 साल की नही हम इंसानो की हम ने ही इन सब कहर को आमंत्रित किया है 
बेजुबान जानवरों पर अत्याचार बन्द करो 🙏🌍🌱🌴
प्रियंका रुक्मण राठौड़ #RIPHUMANITY #savenature #saveanimals #priyankarukmanrathore #priyankarukmanqoute #qoute
आज हम जब लिखने बैठे तो हमारी कलम हमे लिखने से रोक रही थीं। तब हम सोच रहे थे कि ऐसा क्यों ?फिर विचार किया और समझ आया कि हम तो अपने अंदर इंसानियत को ढूढ़ रहे है लिखने के लिए तभी मन से आवाज आई कि तुम इंसान ना विश्वास लायक हो ना ही अब इंसानियत रही अब तुम लोगो मे ।।
अगर जानवरों की जुबान होती तो सच मे इंसानियत बहुत रोती ,जिनको हम जानवर कहते हैं ना असल मे तो उनकी भूमिका हम इंसान निभा रहे है , शहरो में रहने वालो  कभी जंगलों में जाकर देखा हम इंसानो से बेहतर जीते हैं जानवर । 
कोई कैसे उस बेजुबान हथनी के साथ ऐसा दुर्वव्यवहार कर सकता हैं। ऐ इंसान तेरी रुह नही काँपी ऐसा करते क्या तेरी  इंसानियत नही रोई।
फिर नियति क्या गलत करती है हमारे साथ   जो लोग 2020 को दोष दे रहे थे उनको समझाओ की गलती 2020 साल की नही हम इंसानो की हम ने ही इन सब कहर को आमंत्रित किया है 
बेजुबान जानवरों पर अत्याचार बन्द करो 🙏🌍🌱🌴
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