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तुम कैसे बुनोगी महीन शब्दों का जाल तुम कर्तव्यनि

तुम कैसे बुनोगी 
महीन शब्दों का जाल 
तुम कर्तव्यनिष्ठा की 
जिजीविषा से ओतप्रोत हो 
और व्यवस्था 
तर्जनी के संस्कारों में 
आकंठ डूबा हुआ है 
क्या तुम हलाहल
पी पाओगी ?
तुम्हारी परवरिश 
खिलखिलाने के प्रवाह में 
प्रफुल्लित हुई है 
कोशिश करना हलाहल 
अमृत कर पाओ 
पर घुटन की गंभीरता लिये नही 
चली आना जब भी ऐसा लगे 
अपने घर के उस पुराने प्रफुल्लित प्रवाह में अपना परिवेश
तुम कैसे बुनोगी 
महीन शब्दों का जाल 
तुम कर्तव्यनिष्ठा की 
जिजीविषा से ओतप्रोत हो 
और व्यवस्था 
तर्जनी के संस्कारों में 
आकंठ डूबा हुआ है 
क्या तुम हलाहल
पी पाओगी ?
तुम्हारी परवरिश 
खिलखिलाने के प्रवाह में 
प्रफुल्लित हुई है 
कोशिश करना हलाहल 
अमृत कर पाओ 
पर घुटन की गंभीरता लिये नही 
चली आना जब भी ऐसा लगे 
अपने घर के उस पुराने प्रफुल्लित प्रवाह में अपना परिवेश