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मत कर अभिमान जमीन पर पांव ही रखे है। जमाने ने जाने

मत कर अभिमान जमीन पर पांव ही रखे है।
जमाने ने जाने कितने घाव दे रखे है।
दिल को थोड़ा सा नरम बनाने की जरूरत है।
जुबान पर थोड़ी मिठास लाने की जरूरत है।
जरूरी नही की हर कोई दुश्मन हो जमाने में।
दिल से किसी को अपनाने की जरूरत है।
ढोंग दिखावा सब बाहर निकाल फेंकिए।
खुद के अस्तित्व को एक बार पहचानिये।
खुदा नही हो आप किसी के लिये भी।
मामूली इंसान हो तो खुद को इंसान ही मानिए।
जुबां में कैद लफ्जों को थोड़ा अदब से बोलिये।
झुलस जाता है मासूम कोई अदब से लब खोलिये।
हर कोई नही यहां मोहताज है दुश्मनी का।
प्रेम के चन्द शब्दों का भी मोल जानिये।
अंत मे नेहा बस इतना कहेगी।
दिल में बसे उस प्यारे से खुदा से थोड़ा तो डरिये।-नेहा शर्मा। abhimaan
मत कर अभिमान जमीन पर पांव ही रखे है।
जमाने ने जाने कितने घाव दे रखे है।
दिल को थोड़ा सा नरम बनाने की जरूरत है।
जुबान पर थोड़ी मिठास लाने की जरूरत है।
जरूरी नही की हर कोई दुश्मन हो जमाने में।
दिल से किसी को अपनाने की जरूरत है।
ढोंग दिखावा सब बाहर निकाल फेंकिए।
खुद के अस्तित्व को एक बार पहचानिये।
खुदा नही हो आप किसी के लिये भी।
मामूली इंसान हो तो खुद को इंसान ही मानिए।
जुबां में कैद लफ्जों को थोड़ा अदब से बोलिये।
झुलस जाता है मासूम कोई अदब से लब खोलिये।
हर कोई नही यहां मोहताज है दुश्मनी का।
प्रेम के चन्द शब्दों का भी मोल जानिये।
अंत मे नेहा बस इतना कहेगी।
दिल में बसे उस प्यारे से खुदा से थोड़ा तो डरिये।-नेहा शर्मा। abhimaan