बचपन और लुका-छिपी वो भि क्या मस्ताना दौर था! जब मुझे भी इस खेल का शौंक था वो भि क्या जिन्दगी की हसीन शाम होती थि जब मुझे भी दोस्तों संग मिलने की दिवान होती थी वो भि क्या पकङे न जाने डर होता था जब आधे से भी ज्यादा मोहल्ला हमारा घर होता था वो भि क्या पार्क कि रौणक होती थि और थप्पा करने के लिए चप्पल भी जरुरी होती थी वो भि क्या बेफिकरी का मौसम होता था जब Doubling करने के लिए कपङे बदलना भी जरुरी होता था वो भि क्या मस्ती का जुनुन होता था जब एक ही कि पित्ती बार बार दिलाने का प्रयास भ्रपूर होता था..! वो सब डूब गया है अब अंधी गहरी खाई में फोनों ने जगह लेली है छुपन छुपाई से...॥ "रणदेव" खेल छिपने छिपाने का! #bachpan #lukachippi