अब परशुराम सी दिव्य प्रभा की कुठार को धारण कर लो जिंदा रहना है तो यारो मरने की तैयारी कर लो अपने घर के गद्दारो का विषदंत तोड़ना ही होगा रघुवीर राम को अब रण में ब्रह्मास्त्र छोड़ना ही होगा कवि अज्ञात है में निरंतर प्रयासरत हूँ यह ढूंढने में कई किसने लिखा होगा इसे#देशभक्ति #राष्ट्रप्रेम