वो आया था बाद ए सबा सा, गया तो तूफान था उसके आने में सुकून था, उसके जाने में एक कहर । एक रोज़ छोड़ गया जो रिफ़ाक़तें मेरी तलाश में भटकता हूँ अब उसकी दहर दहर । वो जो खो गया है किसी शहर के हुजूम में मैं ढूंढता फिरता हूँ उसे शहर शहर । वो गया था जिस शब, लेके टुकड़े उस रात के मिलाता फिरता हूँ उसके निशां से हर सहर । मुझे मालूम है बन जाएगा सबब मेरी मौत का एक उम्र गुज़ार देना, पीते पीते यूँ ज़हर ।। 28/7