यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान। शीश दीयो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान। अर्थात:- कबीरदास जी कहते हैं कि यह शरीर विष से भरा हुआ है और गुरु अमृत की खान। आदि आपको अपना सर अर्पण करके भी सच्चा गुरु मिलता है, तो भी यह सौदा बहुत सस्ता है। ©suraj kumar kabir das doh