चलो चलें बहें प्रीत सागर में कि इतना ढूबें धुले वेदनाएँ यौवन में चड़े प्रीत में पिघले उड़ाएं भवरें ढूबें भावना में संसार परे चले सारी व्यथाएँ जो संजोये रहे प्राण के देंह में चलो चलें बहाएं ©Kavitri mantasha sultanpuri #चलो_चलें #KavitriMantashaSultanpuri