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अगर यूं ही मेरा पहाड़ पलायन का शिकार होता रहा, तो

अगर यूं ही मेरा पहाड़ पलायन का शिकार होता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब पहाड़ का हाल चाल कुछ यू होगा-

जब अग्रवाल स्वीट होगा, 
मगर पहाड़ी मोहन दा की दुकान नहीं होगी।
जब नेपाली मोमॉज होगा, 
मगर पहाड़ी दिवान दा की जलेबी नहीं होगी।
जब पंजाबी रेस्टोरेंट होंगे, 
मगर मोहन दा दीवान दा और 
बंसी दा का ढाबा नहीं होगा।
जब सलमान-समीर देशी बैंड होंगे, 
मगर अपने ढोल-दमुवे नहीं होंगे।
जब हलाली मीट वाला होगा, 
मगर पहाड़ी बकरी का मीट नहीं होगा।
अगर यूं ही मेरा पहाड़ पलायन का शिकार होता रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब पहाड़ का हाल चाल कुछ यू होगा-

जब अग्रवाल स्वीट होगा, 
मगर पहाड़ी मोहन दा की दुकान नहीं होगी।
जब नेपाली मोमॉज होगा, 
मगर पहाड़ी दिवान दा की जलेबी नहीं होगी।
जब पंजाबी रेस्टोरेंट होंगे, 
मगर मोहन दा दीवान दा और 
बंसी दा का ढाबा नहीं होगा।
जब सलमान-समीर देशी बैंड होंगे, 
मगर अपने ढोल-दमुवे नहीं होंगे।
जब हलाली मीट वाला होगा, 
मगर पहाड़ी बकरी का मीट नहीं होगा।
deepakkohli2453

Deepak Kohli

New Creator