नफरते किस बात की तुझको है मुझसे ऐ सनम, क्यूँ ख़फ़ा होके भीगाते हो अपने नयन, बात कुछ भी तो नहीं फिर क्यूँ उलझा है ऐ मन, मान जा जाने तमन्ना यूँ ना कर मुझपे सितम, दरमियाँ जो फासला है क्यूँ ना कर दे आज कम, तू ज़रा सा सोच हो शायद वो तेरा वहेम. "हरीश तन्हा" ©Harish Pandey #नफरते #हरीशतन्हा Surjit sabir✍️