............... ©रोली रस्तोगी | ~a_girl_inkings_her_emotions date of ✍️ 17 march 21 Title ➡️ "अपना" कितना आसान है ना किसी को भी अपना कह देना हाँ तुम मेरे अपने हो... :) पर केवल अपना बोल देने से हर कोई अपना हो जाता है क्या..? क्या सिर्फ कह देना काफी है..? अपना कहने वाले तो हर रोज़ मिल जाते हैं.. अफसोस कहने और मानने में काफी अंतर होता है। 😊 बड़े-बड़े वादे कर देते हैं आप ये बोलकर की मैं भी तुम्हारा अपना ही हूँ, तुम मुझसे सबकुछ कह सकते हो मैं सुन रहा हूँ... पर केवल सुन लेना काफी है क्या..? कभी सोचा है अगर कोई आप को वो जगह देता है तो उसकी एहमियत क्या होती है..?आपको सचमुच अपना समझता है,अपनी चुप्पी तोड़ता है, हर छोटी-बड़ी बातें कह देता है, बिना किसी झिझक के उसे लगता है उसे सुनने, समझने और समझाने के लिऐ कोई अपना तो है..जानते हो वो हर किसी से अपनी नारजगी भी नहीं जताया है केवल आप पर ही थोड़ा हक जताता है क्योंकि आप उस जगह हो जिससे वो कुछ उम्मीदें रखता है, उसे लगता है उसके आसपास कोई अपना है जो चाहें कुछ भी बदल जाए वो नहीं बदलेगा और ना ही उनके बीच कभी कोई आएगा, हर सु:ख:दुःख का भागीदार बनाता है आपको, कही अनकही हर बात बताता है आपको, और ये वो सबसे नहीं कह सकता है क्योंकि कहने को तो बहुत अपने हैं उसके पर अपनापन उसे बस आपके साथ ही महसूस होता है।