जब वृक्षों को काटकर धरा को किया गया था निवस्त्र चीख,पीड़ा और उनकी वेदना को नही पढ़ पाया था कोई जिन्होंने पढ़ा, उन्होंने लिखा कोरे पन्नों में करहाती हुई आत्माओं की पुकार को इसी क्रम में धरा का गहना बनाए गए बड़ी बड़ी इमारतें,औद्योगिक केंद्र अपनी इस पीड़ा को भूलाकर, निस्वार्थ दर्द का बखान करने के लिए भी आहुति दी थी कुछ वृक्षों ने, पर्यावरण बचाओ के इस आंदोलन में फिर काटे गए वृक्ष लेकिन इस बार शर्त थी शिक्षा के प्रसार के लिए शिक्षित भारत अभियान को सुचारू रूप से चलाने की। ©Bhupendra Rawat जब वृक्षों को काटकर धरा को किया गया था निवस्त्र चीख,पीड़ा और उनकी वेदना को नही पढ़ पाया था कोई जिन्होंने पढ़ा, उन्होंने लिखा कोरे पन्नों में करहाती हुई आत्माओं की पुकार को