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सावन तू कितना पावन , तेरा हर लम्हा मनभावन । हरियाल

सावन तू कितना पावन ,
तेरा हर लम्हा मनभावन ।
हरियाली आकर्षण खींचे,
वर्षा हर उपवन को सींचे
 आँख मिचोली मेघा करते
हम डरते, मेघा ना डरते
लदे फलों से रहते वृक्ष 
आम,नाशपाती, जामुन।
अपने पीहर आई  बाला,
मुखङे पर मुस्कान उजाला
सखियों संग वह झूला झूली
गाँव  माटी, महक ना भूली
तभी बिजुरिया ऐसे तङकी,
गरजे घन जैसे गरजे रावन।।
छुटकी मटक रही अँगना मे
मोती दमक रहे  कंगना मे
बंटी छत पर पतंग उङावै 
मम्मी पापा को हरषावै
भाभी का सिंदारा आया 
तब सजने लगी बिछावन ।।
पुष्पेन्द्र "पंकज "

©Pushpendra Pankaj
  सावन मनभावन

सावन मनभावन #कविता

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