बड़ी बोझिल सी जिंदगी गुज़री हुईं जो बातें हैं जो तुम नहीं जानते कुछ ऐसा आज सुनाते है। सिलसिला उन यादों का आज भी भरमाता है झूठे चेहरे पर थे जो चेहरे सपनों में आता है। जगा भरोसे की चिंगारी विश्वास दिलाने था आया नियत में जिसकी खोट थी उसे समझ था ना पाया। चला वक्त ने चाल था ऐसा मुझसे जो टकराया अपनी लाचारी दिखलाकर मुझको बहकाया था। टूटा ख्वाब कुछ इस कदर, झूठी अब हर कहानी लगे हर सख्स अब झूठा और मतलबी उसकी यारी लगे।। ♥️ Challenge-973 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।