साँझ सवेरे सपनों के घेरे, एक पन्ना सा है जमी पे एक पन्ना सा आसमाँ पे, सपनो को यूँ रौंद लेगा, अश्क़ो को यूँ लूट लेगा। साँझ सवेरे.... कोठरी में बैठ के हम यूँ रो दिए, सपनो के पीछे भाग के, खिड़कियो से झांकते है वो एक गली, हिम्मतों से हौसला बने। साँझ... ख्वाहिशों से रहनुमा को यूँ मोड़ लू, हाथों की लकीरों पे, मन्नतो से जगता ये शहर, आंधियो की लहरों पे। साँझ... साँझ सवेरे