बारिश भी हो रही झमाझम है. हम शायरों की आंखें भी नम है. आओ तुसिम मिल कर सब. बहुत हो गया "इब्राहिमी" ऐसेज-मैसेज... अब चाय दी चुस्की दा मजा लेते हैं. इसी बहाने आमने सामने... साडी महफि़ल वि सजा लेते हैं. Allahumma khayr....