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मिरा गुमान है शायद ये वाक़िआ' हो जाए कि शाम मुझ मे

मिरा गुमान है शायद ये वाक़िआ' हो जाए
कि शाम मुझ में ढले और सब फ़ना हो जाए

बचा के आँख मैं ख़ुद अपनी खोज में निकलूँ
मिरे वजूद में एक चोर रास्ता हो जाए

क्या ये मुमकिन है कि इक ख़्वाब मुसलसल देखूँ
नींद खुल जाए तो मंज़र यही फिर कल देखूँ

©Daniyal
  #Hope😍 #Umeed #shayaari #AurMai  Kavya Anshu writer  MALLIKA  kanishka Nutan Singh