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मुफलिसी के चादरों में अंधेरे बहुत है मगर... उजाले

मुफलिसी के चादरों में अंधेरे बहुत है
 मगर...
उजाले से हमारा क्या वास्ता?

मिले ना मिले हमें यह सड़क...
पगडंडियों से हमारा है वास्ता..!

तवंगर(धनी) को कम पड़े रोशनी की धूम..
सिर उठाकर सितारों को लेते हम चूम...!


हमने अपने रास्ते आप ही बनाएं...
तुम्हें तो राह मिली ...वो भी.. साख्ता (बनी बनाई)...!!

©Gudiya Gupta (kavyatri).....
  #मुफलिसी  अब्र The Imperfect J.K.Ricson ( ved)  अं_से_अंशुमान ज़ख़्मी हर्फ़ (Pramod) प्रभाकर अजय शिवा सेन