की मोबाइलों के दौर में भी वो खतों से बात करती है कई बार मेरे इंतज़ार में सुबह को दिन , दिन को शाम और शाम को रात करती है यूं तो अभी ज़रा नादां है वो....पर कई बार बड़ों सी बात करती है और के क्या बताऊं कि क्या खूब है वो.... के क्या बताऊं मैं उसकी मासूमियत क्या है.... ....वो तो... .....इन चॉकलेट्स के दौर में भी उन खट्टी - मीठी टॉफियों की बात करती है और उसको मुझसे ज़्यादा कुछ नहीं चाहिए....वो चाहती है तो बस मोहबत.... ......हस्ती मुस्कुराती....सिर्फ इश्क़ की ही बात करती है की मोबाइलों के दौर में भी वो खतों से बात करती है कई बार मेरे इंतज़ार में सुबह को दिन , दिन को शाम और शाम को रात करती है यूं तो अभी ज़रा नादां है वो....पर कई बार बड़ों सी बात करती है और के क्या बताऊं कि क्या खूब है वो.... के क्या बताऊं मैं उसकी मासूमियत क्या है.... ....वो तो... .....इन चॉकलेट्स के दौर में भी उन खट्टी - मीठी टॉफियों की बात करती है और उसको मुझसे ज़्यादा कुछ नहीं चाहिए....वो चाहती है तो बस मोहबत.... ......हस्ती मुस्कुराती....सिर्फ इश्क़ की ही बात करती है