(एक प्रेम पत्र जो अंजान था ईश्क से ) यह समय क्यू बीत जाता हैं , साथ मेरे उदासी दे जाता है , ख़ुशी बेशुमार होती थी , चन्द उसकी मुस्कान देखकर , वो चले जाते थे , बहुत गम मेरे साथ देकर , सोचा तो यही था , कल बात करूगा उनसे , पर हिम्मत ना होती थी , मुझमे उन्हे सामने देखकर , ऐसा लगता था उनकी आंखे हर पल कुछ बया करती थी , मै समझ लेता था उनकी हर एक झुकी पलके देखकर , उनकी खामोशिया हर पल कुछ ना कुछ बया करती रही , आंखे भी नम हो जाती थी ,उनकी खामोशिया पढते पढते , हर वक्त डर सा लगा रहता था ,कही कोइ चुरा ना ले जाये उनको , मै यह सोच कर रो पड़ता ,शायद मेरी ज़िन्दगी का क्या होगा , ना चाहते हुये हम उन्ही से मोहब्बत किये जा रहे थे , ना चाहते हुये हम ख्वाबो मे उन्हे अपना बनाये जा रहे थे , इश्क इतना खूबसुरत था ,यह आज जाना मैने , तू रहे ,मै मिट जाऊ यह अल्लाह से दुआ मागा मैने , तू रहे मै मिट जाऊ यह अल्लाह से दुआ मागा मैने ..............! ( लेखक "आशीष कुमार वर्मा" )