महामारी से जंग तकलीफ़ में हैं सबकी सांँसें रास्ते के सब हैं ये कांँटें हम सब मिलजुल कर हैं बांँटें कितने सुकून से हम सब थे अमन चैन से सब जी रहे थे ज़िन्दगी के मझधार में फंँस थे आसान नहीं था वो वक्त घर से निकलना हो गया था सख्त बहुत ही मुश्किल वो दौर था जिससे निकालना कठिन हो गया था फिर भी हम सबने हिम्मत ना हारी ज़िन्दगी की जंग हम सबने जीत ही डाली अभी सिर्फ़ था वायरस अब आ गया काला फंगस कैसे बीतेगा जीवन फिर यार संगत तकलीफ़ में हैं सबकी सांसें रास्ते हैं सब काटें सब मिलजुल कर हम सबने हैं बांटें मेरी पहली रचना कॉरोना वायरस के दूसरे लॉकडाउन में yourquote पर लिखी थी 15 May 2021 06.06 PM #सफ़रनामा1 #कोराकाग़ज़