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सपनों का महल रात के बेदम कदमों तले रौंदे गए ख़्

सपनों का महल


रात के बेदम 
कदमों तले
रौंदे गए ख़्वाबों की 
ज़रा सी मिट्टी
भींच लूँ क्या मुट्ठी में
कि कभी तो नींव
नये अरमानों की 
रखूँगी मैं...
उमंगों की तर्राशी
हुई एक एक ईंटं से 
सजेगा फ़िर ...ये
गगन चुंबी महल मेरा❗

©Nidhi Manvi
  #lonely ..सपनों का महल
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Nidhi Manvi

New Creator

#lonely ..सपनों का महल #ज़िन्दगी

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