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हर रोज़ शाम, तेरे इंतज़ार में, उस शाम का इंतज़ार करते

हर रोज़ शाम, तेरे इंतज़ार में, उस शाम का इंतज़ार करते है,

हर गम भुला दे जो मेंरे,उस आखिरी जाम का इंतज़ार करते है,

क्या हुआ गर तेरे चेहरे पर, दाग आ गए बदनामी के,

हम तो अब भी, तेरी रूह से प्यार करते है,

#_अल्फ़ाज़_# #रूह
हर रोज़ शाम, तेरे इंतज़ार में, उस शाम का इंतज़ार करते है,

हर गम भुला दे जो मेंरे,उस आखिरी जाम का इंतज़ार करते है,

क्या हुआ गर तेरे चेहरे पर, दाग आ गए बदनामी के,

हम तो अब भी, तेरी रूह से प्यार करते है,

#_अल्फ़ाज़_# #रूह