काश,जिंदगी सचमुच किताब होती पढ़ सकता मैं कि आगे क्या होगा? कब थोड़ी खुशी मिलेगी, कब दिल रोयेगा? काश जिदंगी सचमुच किताब होती, फाड़ सकता मैं उन लम्हों को जिन्होने मुझे रुलाया है.. जोड़ता कुछ पन्ने जिनकी यादों ने मुझे हँसाया है... खोया और कितना पाया है? हिसाब तो लगा पाता कितना काश जिदंगी सचमुच किताब होती, ©Shrdha Mahakulkar #JindagiKiKitaab #Jindagi #EveningBlush