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न करना कभी तुम एतराज, कभी लिखता हूं, अपने होशो हवा

न करना कभी तुम एतराज,
कभी लिखता हूं, अपने होशो हवास में, कभी लिखता हूं, उन सपनों की आश में, 
न सोचा मैंने, कभी किसी को ठेस पहुंचाना, पर अगर पहुंची हो, तो चाहता हूं क्षमा,
 उसी अंदाज में।।

©Kalamkar #SORRY❤️
 fateh singh sodha
न करना कभी तुम एतराज,
कभी लिखता हूं, अपने होशो हवास में, कभी लिखता हूं, उन सपनों की आश में, 
न सोचा मैंने, कभी किसी को ठेस पहुंचाना, पर अगर पहुंची हो, तो चाहता हूं क्षमा,
 उसी अंदाज में।।

©Kalamkar #SORRY❤️
 fateh singh sodha
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Kalamkar

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