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मुहब्बत की चर्चा 17-6-23 मुहब्बत कि चर्चा अजर



मुहब्बत की चर्चा
17-6-23

 मुहब्बत कि चर्चा अजर हो गयी।
दिवानी बनी मैं अमर हो गयी(1)

बहुत ही किया जब तमाशा तुने
गली में सभी को खबर हो गयी।(2)

वफ़ा भी कभी तो अरे तुम करो।
नहीं है शराफ़त उमर हो गयी।(3)

हमें जब मिली थी खुशी ही खुशी
खुशी के लिए अब गदर हो गयी।(4)

खता जो तुम्ही से हुई थीं मगर
तभी से खुशी भी इतर हो गयी।(5)

दिला कर तुम्हें न्याय सारा अभी।
सदा के लिएअब सहर हो गयी।(6)

पिया था नदी का सलिल अब तलक
नदी थी कभी अब नहर हो गयी।(7)

डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद
स्वरचित व मौलिक अप्रकाशित अप्रसारित

©rekha jain
  चर्चा
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