-परम सत्य योगपथ- जीवन रहस्य ----- नीचे कैप्शन में....... जब तक वह जीवन न मिल जाए, तब तक जन्मदिन मत मनाए। तब तक सोचें मत जन्म की बात। एक जिसे जन्म कहते हैं, उसे जन्म मत समझ लेना। वह सिर्फ एक सोशल मिथ, एक सामाजिक पुराणकथा है। जिसे मृत्यु कहते हैं, उसे मृत्यु मत समझ लेना। वह केवल हमारे अज्ञान का दूसरा नाम है। जिसे जीवन कहते हैं, उसे जीवन मत समझ लेना। क्योंकि रोज सुबह जग जाना और रोज शाम को सो जाना; रोज वही भोजन, वही कमाना, वही मित्र, वही शत्रु, वही सारा जाल, उसकी निरंतर पुनरुक्ति, अंतहीन पुनरुक्ति.....बड़ी आश्चर्यजनक बात है कि उसकी अंतहीन पुनरुक्ति भी हम